परिवार के गंभीर मामलों को लेकर सदस्यों में गरमा गर्म बहस हुई. ऐसे में आपने चुप रहना ठीक समझा. क्या उससे समस्या का समाधान हुआ?

परिवार में आप प्रभावशाली हो, ताकतवर हो और चाहते हो कि आपको महत्वपूर्ण और आदरणीय का दर्जा मिले तो चुप मत रहिये.

अपने लोगों के सामने अपनी बात रखना, उनकी अच्छी या बुरी प्रतिक्रिया की परवाह न करना, एक महत्वपूर्ण समय पर बहुत मुश्किल हो जाता है या कभी कभी नामुमकिन भी. पर क्या किसी महत्वपूर्ण बातचीत से बचना या अपनी बारी में चुप रहना, इसका कारगर समाधान है?

सिर्फ कुछ पल लगते हैं हमें अपनी सोच बदलने में.

लोगों के चुप रहने के कई कारण हो सकते हैं:

  1. समय या मौका नहीं मिला
  2. ये मेरा काम नहीं
  3. मैं उन्हें नाराज़ नहीं करना चाहता
  4. मुझे गलत समझा जायेगा
  5. मेरी बात नहीं मानी जाएगी
  6. इसमें मेरा नुकसान हो सकता है

पारिवारिक मामलों में कुछ लोग अक्सर चुप रहते हैं क्योंकि वो दूसरों को गुस्सा नहीं दिलाना चाहते, या अपने सबंध ख़राब नहीं करना चाहते. उन्हें लगता है कि ऐसा करके वो मुश्किल बातों को किसी और के लिए छोड़ देंगे या बाद में करेंगे.

चुप रहकर, मुश्किल समय में आपने अपने आपको बचा लिया. हो सकता है आपको निजी फायदे भी हो गए या आपने स्वयं का नुकसान होने से बचा लिया.

पर चुप रहना, विशेषकर ऐसे समय में जब आपको भी महसूस हो रहा है कि किसी अन्य के साथ गलत हो रहा है बेहद अभद्र व्यवहार माना जाता है. ऐसे समय में अगर आप सही के साथ नहीं हो, तो फिर वो भी मौका पड़ने पर आपके साथ खड़े नहीं होंगे. समस्याओं को दबा के रखना या उन्हें टालते रहना, अंततः एक गंभीर विस्फोट का कारण बनेगा और बाकी लोगों के साथ साथ आपको भी उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

याद रखिये, आपकी चुप्पी आपको ज्यादा समय सुरक्षित नहीं रखेगी. सबके साथ रहते हुए भी गंभीर मौकों पर आपकी चुप्पी आपको दूसरों की नज़र में अनुपस्थित कर देगी. आप जो कहना चाहते थे, उसकी आगे भी कोई परवाह नहीं करेगा. कारण कुछ भी हो पर अपना व्यक्तित्व बनाये रखने के लिए बोलना ही होगा, चाहे आप किसी बात से डरे हुए क्यों न हो.

चुप्पी आपको दूसरों की नज़र में और धीरे धीरे खुद की नज़रों में भी गिरा देगी. गलत होते देख भी, चाहे इसमें खुद का स्वार्थ छिपा हो, आप चुप हैं तो ग्लानि आपका पीछा करती रहेगी.

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